वशिष्ठ सम्राट का जीवन परिचय | Vashishth Samrat Biography In Hindi | Vashishth Samrat Biography | Vashishth Samrat Wikipedia Biography
आज के इस लेख मे वशिष्ठ सम्राट का जीवन परिचय | Vashishth Samrat Biography In Hindi के बारे मे जानेंगे, जो बचपन मे ही सिर्फ पंद्रह हजार रुपये मे बेच दिए जाते है, अगर आप गरीब परिवार से है तो आपको वशिष्ठ सम्राट उर्फ छोटू की छोटी सी कहानी सुननी चाहिए !
Vashishth Samrat Wiki Biography In Hindi
पूरा नाम | वशिष्ठ सम्राट |
निक नाम | छोटु |
जन्म तिथि | नहीं पता |
जन्म स्थान | बिहार |
पिता | नहीं पता |
माता | नहीं पता |
शौक | पढ़ाई करने का |
कौन है वशिष्ठ सम्राट ? (Who Is Vashishth Samrat)
वशिष्ठ सम्राट बिहार का रहने वाला है जिनका बचपन बहुत ही दर्दनाक रहा, जो की पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बनना चाहता था, पर उसके पास पैसे नहीं थे की वे स्कूल मे जाके पढ़ाई करें, उसकी इसी कमजोरी का फायदा उठाके किसी के उसको बचपन मे ही बेच दिया था, और फिर बचपन का सपना पूरी तरह टूट गया|
वशिष्ठ सम्राट को लोग बचपन मे छोटू के नाम से पुकारते थे, तो आइए जानते है छोटू की छोटी सी कहानी के बारे में-
छोटु की छोटी सी कहानी (Vashishth Samrat Biography In Hindi)
छोटू की छोटी सी कहानी के बारे मे जानने से पहले आपको छोटू के बचपन के बारे मे जानना चाहिए क्युकि सब कुछ छोटू के बचपन से ही शुरू होता है,
छोटू का जीवन बिहार के छोटे से गाँव से शुरू होता है, छोटू के पिता जी किसान थे एक येसा किसान जो सिर्फ खेती करना जानते है पर उनके पास खेती करने के लिए थोड़ा भी जमीन नहीं था, तो छोटू के पिता जी दूसरे के जमीन बटाई पर लेके थोड़ा बहुत खेती कर लिया करते थे, जिससे उनका घर का भी नहीं चल पाता था तो पढ़ाई-लिखाई की तो बात ही छोड़ दीजिए
छोटू के लिए पढ़ाई-लिखाई एक सपने जैसा था और छोटू भी इस बात को अच्छी तरह से समझता था, लेकिन उसका सपना था वो पढ़ाई-लिखाई करें, वो सपने मे येसे खोए हुए थे की जब भी वो भैंस चराने जाता और स्कूल के बच्चों को देखता था तो वो सोचता था की कास मे भी पढ़ पाता|
अब छोटू हर रोज स्कूल के सामने जाके उन बच्चों को देखता था, और इसी चीज को एक व्यक्ति बहुत दिनों से देख रहा था, और फिर एक दिन उस आदमी ने उनसे पूँछ ही दिया की बेटा तुम हर रोज स्कूल के सामने एसे क्यू खड़े रहते हो, तो फिर छोटू ने बोला अंकल मुझे पढ़ने का बहुत सौक है लेकिन मेरे पास पैसे नहीं है
फिर उस व्यक्ति ने बोल बेटा तुम पढ़ना चाहते हो तो कल चलो तुम मेरे साथ मे तुम्हें पढ़ाऊँगा, अब छोटू बहुत खुश था क्युकि उसके पढ़ने का सौक पूरा होने वाला था और वो सब कुछ छोड़कर उस व्यक्ति के साथ चला गया|
पर उसके आगे क्या अंजाम होगा छोटू के साथ ये सुनकर आपके आँखों से आँशु आने लगेंगे और आप रो पड़ोगे
छोटू को शहर ले जा करके एक मैनेजर के वह बेच दिया जाता है और छोटू को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं होता की वो बेचा जा चुका है|
अगले दिन उसे जब काम करने को कहा जाता है तब छोटू कहता है मुझे तो यहाँ पढ़ाने के लिए लाया गया है, आप मुझे काम करने के लिए क्यू बोल रहे है, फिर वो मैनेजर कहता है तुम्हारे जो वो अंकल है उसने तुम्हें मुझे 15000 (पंद्रह हजार) मे बेच दिया है और अब तुम्हें वो सब कुछ करना पड़ेगा जो मे तुम्हें बोलूँगा, और जब ये बात उसके कानों तक पहुंचता है तो वह अंदर से बिल्कुल टूट जाता है मानो किसी ने उसे गर्म लोहे पर खड़े किये हो|
अब छोटू का वही घर था, किचन मे सोना, साफ सफाई करना और घर मे पोंछा लगाना| इन सब से छोटू तंग हो गया था और भागने की भी कोशिश की लेकिन गार्ड द्वारा पकड़ा गया, और जब ये बात उसके मालिक को पता चला तो उसके मालिक ने उसे बेल्ट से बहुत पीटा, छोटू तरपता रहा और वो उसे पीटता रहा|
अब छोटू किसी कमरे मे बंद अपने किस्मत पे रो रहा था और उसे कोई चुप कराने वाला भी नहीं था अब छोटू की सारी उम्मीद खत्म हो चुका था, और छोटू का जीवन फिर से उसी प्रकार चल रहा था|
दीपावली का दिन था और छोटू के साथ एक येसा हादसा हुआ जिसको सुनके आपके रौंगटे खड़े हो जाएंगे, मैनेजर के घर मे बहुत सारे मेहमान आया हुआ था और छोटू को चाय बनाकर लाने को कहा गया और जल्दवाजी मे बिना चीनी का चाय अपने मालकिन के लिए निकालना भूल गया था जैसे ही उसके मालकिन ने चाय के पहला घूट पिया उसने छोटू के ऊपर गर्म चाय फेक दिया गया
अब छोटू का जिन्दगी बदलने वाला था, क्युकि 7 जुलाई सुबह के दिन कैलाश सत्यार्थी जो एक भारतीय समाज सुधारक हैं और भारत में बाल श्रम के खिलाफ अभियान चलाया करते थे उसने घर पर छापा मारा और उस छोटू की दर्दभरी कहानी को वही पे खत्म किया और फिर छोटू को दिल्ली के मुक्ति आश्रम मे लाया गया|
फिर कैलाश सत्यार्थी ने छोटू से बेटा तुम बड़ा होकर क्या बनना चाहते हो, फिर छोटू ने जवाब दिया की मे पापा के तरह ही दो बैल और हाल लेकर खेती करना चाहता हूँ, छोटू का सारा सपना मर चुका था|
कैलाश सत्यार्थी ने कहा की बेटा अगर तुम्हें पढ़ाया जाए तो क्या तुम पढ़ोगे और उसके अगले दिन ही उसके हाथ मे किताब और कलम था फिर उसके मम्मी-पापा का भी पता चल गया और दो साल बाद वो घर चला गया, घर जाकर उसने ठान लिया की उसे अब पढ़ना है हर हाल मे, अब वो गाँव मे किसी मालिक के वहाँ दिन मे काम करने लगे और रात को पढ़ाई करने लगे
और एसे ही इसने पढ़ाई करके सभी वर्गों मे टॉप स्थान प्राप्त किये और पूर्व राज्यपाल (बिहार) के द्वारा गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया|
कसम से यारों उस छोटू मे बहुत हिम्मत थी
निष्कर्ष
आज के इस लेख मे हम सब ने वशिष्ठ सम्राट का जीवन परिचय | Vashishth Samrat Biography In Hindi के बारे मे जाना|
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