Subhash Chandra Bose Biography In Hindi: नमस्कार दोस्तों आज इस लेख में हम आपको भारत के ऐसे स्वतंत्रता सेनानी के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका नाम भारत को अंग्रेजों से आजाद कराने मैं लिया जाता है जी हां दोस्तों हम बात कर रहे हैं|
सुभाष चंद्र बोस की जिन्होंने अपने एक नारे तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा सिर्फ पूरे भारत में एक नई क्रांति ला दी थी और उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के नाम समर्पित कर दिया है|
क्योंकि वह अपने देश से बहुत प्यार करते थे और देश की आजादी के लिए मर मिटने को तैयार थे वह एक संपन्न परिवार से संबंध रखते थे परंतु फिर भी उन्होंने अपने ऐसो आराम को छोड़कर देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया|
अंग्रेजों को हमारे देश से भगाने के लिए पूरे जोरो जोरो से प्रयास किया यह एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने कभी भी अपने परिवार और अपने जीवन के बारे में नहीं सोचा केवल और केवल देश ही उनके लिए सर्वोपरि था|
इनकी जन्म दिवस को देश में पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है तो आइए जानते हैं इस महान स्वतंत्रता सेनानी की जीवन की बारे में विस्तार से इनका जन्म शिक्षा कैरियर स्वतंत्रता में योगदान इनका परिवार सभी के बारे में हम आज विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं अतः इस लेख Subhash Chandra Bose Biography In Hindi को अंत तक अवश्य पढ़ें|
Subhash Chandra Bose Biography Wikipedia
नाम | सुभाष चंद्र बोस |
उपनाम | नेता जी |
जन्म | 23 जनवरी 1891 |
जन्म स्थान | उड़ीसा |
शिक्षा | कला में स्नातक |
नागरिकता | भारतीय |
धर्म | हिंदू |
मृत्यु | 18 अगस्त 1948 |
सुभाष चंद्र बोस का जन्म | Subhash Chandra Bose Birth
स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस का जन्म जनवरी1897 मैं उड़ीसा के कटक शहर में एक बंगाली परिवार में हुआ था इनका परिवार बहुत संपन्न था बचपन से यह देश की सेवा करना चाहते थे और पढ़ाई में यह बहुत होशियार थेI
सुभाष चंद्र बोस का परिवार | Subhash Chandra Bose Family
सुभाष चंद्र बोस के पिता का नाम जानकीनाथ था और वह कटक के बहुत बड़े फेमस और मशहूर वकील थे जिन्हें अंग्रेजों द्वारा रायबहादुर की उपाधि दी गई थी और उनकी माता का नाम प्रभावती थाI
जोकि कुशल ग्रहणी थी यह इनकी माता पिता की नौवीं संतान थे और इनके सात भाई और 6 बहने थी बचपन से ही वह अपने भाई शरद चंद्र के बहुत करीब थे और मैं उन्हें अपने पिता से अधिक प्यार करते थेI
सुभाष चंद्र बोस की शिक्षा | Subhash Chandra Bose Education
सुभाष चंद्र बोस पढ़ने में बचपन से ही बहुत ज्यादा होशियार थे और इन्हें पढ़ने में भी बहुत रूचि थी यह अपने शिक्षक के बहुत प्रिय शिष्य थे और बहुत मेहनती भी थेI
इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्रोटेस्टेंट यूरोपियन स्कूल में की, जिसे अब स्टीवर्ट हाई स्कूल कटक से ही पूरी की इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह कलकत्ता चले गए और उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज में एडमिशन लिया यहां से उन्होंने फिलॉसफी विषय से b.a. कर अपना ग्रेजुएशन पूरा कियाI
इस कॉलेज में एक अंग्रेज प्रोफेशन ने भारतीय छात्रों को बहुत सताया था जिसका विरोध सुभाष चंद्र बोस ने किया उस समय से ही उनके मन में अंग्रेजों की प्रति घड़ा का भाव जागृत हो गया था क्योंकि अंग्रेज भारतीय छात्रों को बहुत परेशान करते थे और जातिवाद का मुद्दा उठाया करते थेI
नेताजी यूपीएससी की परीक्षा देकर सिविल सर्विस में नौकरी करना चाहते थे परंतु अंग्रेजों के शासन में भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत ही कठिन थाI परंतु फिर भी उनकी पिताजी ने यूपीएससी की तैयारी के लिए उन्हें इंग्लैंड भेज दिया इस परीक्षा को देने के बाद जब नतीजा आयाI
तो नेताजी चौथे स्थान पर रहे नेताजी सभी विषयों में से सबसे ज्यादा इंग्लिश में नंबर प्राप्त कर लिए और नौकरी को ज्वाइन कर लिया परंतु वह अपने गुरु स्वामी विवेकानंद को मानते थे और वे उनके द्वारा कहीं गई सभी बातों को अपने जीवन में उतारते थेI
इनकी मन में देश के प्रति बहुत ज्यादा लगा था और वह भारत की आजादी के लिए हमेशा सोचते रहते थे इस कारण उन्होंने अपने भाई शरदचंद्र से सलाह लेकर इस नौकरी को छोड़ दिया 1921 में सिविल सर्विसेज छोड़कर वह भारत लौट आएI
सुभाष चंद्र बोस का वैवाहिक जीवन | Subhash Chandra Bose Marriage|
सुभाष चंद्र बोस में एमिली अंकल शादी की थी शादी से उन्हें एक बेटी भी थी जिसका नाम अनीता बोस थाI
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सुभाष चंद्र बोस का राजनीतिक सफर | Subhash Chandra Bose Political struggle
भारत वापस आने के बाद नेता जी ने स्वतंत्रता की लड़ाई में अपना पहला कदम रखा और कांग्रेस पार्टी से जुड़ गए प्रारंभ में इन्होंने चित्र दास जी के नेतृत्व में काम करते हुए कलकत्ता से ही कांग्रेस पार्टी में नीता बनी रहेI
इन्होंने अपना राजनीतिक गुरु चितरंजन दास कोई माना था परंतु उन्होनें 1922 में मोतीलाल नेहरु के साथ मिलकर एक नई पार्टी बना ली जिसका नाम उन्होंने स्वराज रखा थाI
इसी बीच नेता जी ने अपनी सभी लोगों के बीच बहुत ज्यादा अच्छी बना ली थी क्योंकि वह जल्द से जल्द गुलाम भारत को आजाद देखना चाहते थे और नई सोच किसान बहन नौजवानों की हीरो बन गएI
जब 1928 में गुवाहाटी में कांग्रेस पार्टी की बैठक हुई तो यहां सदस्यों के बीच ममता हो गया क्योंकि नौजवान अपने हिसाब से काम करना चाहते थे और पुराने सदस्य अंग्रेजों द्वारा बनाए गए नियम ऊपर चलना चाहते थे परंतु सभी लोगों को लक्ष्य केवल भारत ही आजादी थाI
सुभाष चंद्र बोस का निधन | Subhash Chandra Bose Death
1945 में ताइवान मैं नेताजी का विमान क्रेश हो गया था जब बह जापान जा रहे थे इस दुर्घटना में उनकी बॉडी नहीं मिली परंतु कुछ दिनों बाद उनकी मैथ्यू की खबर आई इनकी मौत का रहस्य भी तक नहीं सुलझाया जा चुका है क्योंकि इनकी मौत की जांच वाली बात पर आज भी विभाग चल रहा हैI
सुभाष चंद्र बोस की जयंती | Subhash Chandra Bose Jayanti
सुभाष चंद्र बोस की जयंती हर साल 23 जनवरी के दिन को इनकी जैंशी के रूप में मनाया जाता है साल 2023 23 जनवरी के दिन इनका 125 वापस मनाया गयाI
नेताजी का नारा नेता जी ने एक ऐसा नारा दिया जिसने पूरे देश में भूचाल आ दिया तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा
FAQs (Subhash Chandra Bose Biography In Hindi)
1. सुभाष चंद्र बोस का जन्म कब हुआ था?
Ans: सुभाष चंद्र बोस का जन्म 1897 में उड़ीसा मैं हुआ था|
2. सुभाष चंद्र बोस की जयंती कब मनाई जाती है?
Ans: सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को मनाई जाती है|
3. सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु कब हुई थी?
Ans: सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 1945 में हुई थ
निष्कर्ष
दोस्तों आज के इस लेख में हमने आपको भारत के एक ऐसे वीर सपूत Subhash Chandra Bose Biography In Hindi के बारे में विस्तार से सभी जानकारी बताइए वह भारत को आजादी दिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाई थीI
ऐसे कई वीर योद्धाओं ने अपने बलिदानों की आहुति दी है जब जाकर आज भारत आजाद हो सका है हमने उनके जीवन से जुडी सभी जानकारी इस लेख में आपके लिए साझा की है यह सब जानकारी आपको अच्छी लगी होगी धन्यवादI
Subhash Chandra Bose, a visionary leader and a fierce patriot, played a crucial role in India’s struggle for independence. Known for his charismatic leadership and unwavering determination, Bose founded the Indian National Army (INA) to fight against British rule. His slogan, “Give me blood, and I will give you freedom,” ignited the passion of countless Indians. Bose’s efforts to seek international support for India’s independence, particularly his alliance with Axis powers during World War II, showcased his relentless pursuit of freedom. His legacy continues to inspire generations, reminding us of his profound dedication to India’s liberation and his indomitable spirit.